माँ! पूरे संसार में एक माँ ही तो है जो हमारी ख़ुशी के लिए कुछ भी ख़ुशी ख़ुशी क़ुर्बान कर देती है। उस माँ का क़र्ज़ तो कभी चुकाया नहीं जा सकता, पर उसका गुणगान और धन्यवाद तो कर सकते हैं। तो आइए, उस माँ को करें सलाम, इस कविता के माध्यम से, जिसके रचयिता हैं डॉ. प्रशांत भट्ट।